राज्य सूचना आयोग ने नगर परिषद भिवानी के SPIO पर ठोका 25 हजार का जुर्माना।
सत्य ख़बर, चण्डीगढ़, सतीश भारद्वाज :
हरियाणा राज्य सूचना आयोग ने भिवानी नगर परिषद के एसपीआईओ पर आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गई सूचना नहीं देने पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है। वहीं सूचना आयुक्त ने आरटीआई कार्यकर्ता को भी दो हजार रूपये हर्जाना देने के आदेश दिए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर के घोषियान चौक क्षेत्र निवासी रवि ने स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार से प्रेरणा लेकर नगर परिषद भिवानी से आरटीआई में कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। जिनमें एक मुख्य बिन्दु
यह था कि नगर परिषद ने 3 नवंबर 2023 को एक दुकान का छज्जा तोडने का नोटिस जारी किया था। लेकिन इस नोटिस के बाद नगर परिषद ने छज्जा नहीं तोडा। इस पर रवि ने जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत 8 दिसंबर 2022 को नगर परिषद भिवानी से सूचना मांगी थी, नगर परिषद ने निर्धारित अवधि में कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद रवि ने 17 जनवरी 2023 को नगर आयुक्त के समक्ष प्रथम अपील लगाई। इस पर भी नोटिस की अनुपालना को लेकर नगर परिषद ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद रवि ने 27 फरवरी 2023 को राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। राज्य सूचना आयुक्त डॉ जगबीर सिंह ने 21 मार्च 2024 को सुनवाई करते हुए नगर परिषद को सूचना देने के निर्देश दिए थे, सूचना आयुक्त के निर्देश पर भी आरटीआई कार्यकर्ता को कोई सूचना नहीं दी गई। इसके उपरांत दुबारा से 18 जुलाई को फिर राज्य सूचना आयुक्त ने इस मामले में सुनवाई की, लेकिन नगर परिषद की तरफ से कोई सुनवाई पर नहीं पहुंचा। जिसपर राज्य सूचना आयुक्त डॉ जगबीर सिंह ने नगर परिषद भिवानी के तत्तकालीन लेखाकार रमेश कुमार पर 25 हजार रूपये जुर्माना लगाया है। वहीं सूचना आयुक्त ने आरटीआई कार्यकर्ता रवि को भी 2 हजार रूपये हर्जाना देने के भी निर्देश दिए हैं।
*दो सप्ताह में सूचना नहीं दी तो होगी एफआईआर दर्ज*
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि सूचना आयुक्त के आदेशानुसार दो सप्ताह में आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना मुहैया करानी होगी। अगर इस अवधि में सूचना नहीं दी तो नगर परिषद के एसपीआईओ के खिलाफ न्यायालय के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। वहीं यह भी टिप्पणी की है कि एसपीआईओ ने आरटीआई एक्ट 2005 के प्रावधानों का घोर उल्लंघन किया है। आयोग के आदेश की बार-बार अवहेलना करना उसके अहंकार, लापरवाही व मनमानी को दर्शाता है। यह रवैया सरकारी अधिकारी के लिए अनुचित है। इस तरह के व्यवहार करने वाले अधिकारी को आयोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा।